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शीतलहर एवं ठंड से बचाव के दृष्टिगत एडवाइजरी जारी
अंबेडकरनगर। 19 दिसंबर 2025 जिलाधिकारी श्री अनुपम शुक्ला के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व श्रीमती ज्योत्सना बंधु ने शीतलहर एवं ठंड से बचाव के दृष्टिगत एडवाइजरी जारी की।
*शीतलहर से बचाव हेतु एडवाइजरी*
*शीत लहर से पहले*
रेडियो सुने टीवी देखें, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए समाचार पत्र पढ़ें ताकि यह पता चल सके कि क्या शीत लहर होने वाली है।
पर्याप्त सर्दियों के कपड़े पहने। कपड़ों की कई परतें शरीर को गर्म रखने में अधिक सहायक होती है।
आपातकालीन आपूर्ति आवश्यकतानुसार आवश्यक आपूर्ति स्टोर करें एवं तैयार रखें।
शीतलहर के दौरान फ्लू, बहती/भरी हुई नाक या नाक से खून जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक सम्पर्क में रहने के कारण हो जाती है या बह जाती है। इस तरह के लक्षणों के लिए डॉक्टर से सम्पर्क करें।
*शीत लहर के दौरान*
मौसम की जानकारी और आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें और सलाह के अनुसार कार्य करें।
जितना हो सके घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें।
भारी कपड़ों की एक परत के बजाय ढीले फिटिंग, हल्के, विंडप्रूफ गर्म ऊनी कपड़ों की कई परतें पहने। टाइट कपड़े ब्लड सर्कुलेशन को कम करते हैं।
अपने आप को सूखा रखें। अपने सिर गर्दन, हाथों और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से कवर करें क्योंकि शरीर के इन अंगों के माध्यम से शरीर को ठंडक लगने का खतरा अधिक रहता है।
दस्ताने पहने क्योंकि दस्ताने ठंडक से गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं क्योंकि उंगलियां अपनी गर्मी साझा करती हैं। और ठंड के लिए कम सतह क्षेत्र को उजागर करती है।
ठंडक से बचने के लिए टोपी और मफलर का प्रयोग करें।
शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं।
नियमित रूप से गर्म तरल पेय पदार्थ पीएं, क्योंकि गर्म पेय पदार्थ ठंडक से लड़ने के लिए शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं।
तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से नियमित रूप से शरीर की मालिश करें क्योंकि यह त्वचा को नमी प्रदान करते हैं।
बुजुर्ग लोगों और बच्चों का देखभाल करें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों का ख्याल रखें।
गैर-ओद्योगिक इमारतों को लिए गर्मी इन्सुलेशन गाइडलाइन का पालन करें।
शीतलहर के सम्पर्क में आने पर हाथ पैर की उगलियों, कानों और नाक की नोक पर सुन्नता, सफेद या पीलापन दिखना, शीतलहर के लक्षण हैं जिसके प्रति सतर्क रहें। तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
कंपकपी को नजर अंदाज न करें। शीतलहर के प्रभाव का यह एक महत्वपूर्ण संकेत है। शरीर गर्मी खो रहा हो तो जल्द से जल्द घर के अंदर गर्म स्थान रहने का प्रयत्न करें।
फास्टबाइट/हाइपोथर्मिया से पीड़ित कोई व्यक्ति शरीर के तापमान में कमी के कारण कंपकपी, बोलने में कठिनाई, नीद न आना, मांसपेशियों में अकड़न, भारी, श्वास, कमजोरी और चेतना का नुकसान हो सकता है। हाइपोथर्मिया एक आपातकालीन चिकित्सा है जिसके लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
गर्मी उत्पन्न करने के लिये बंद कमरे के अन्दर कोयला/अंगीठी न जलायें क्योंकि इससे कार्बन मानोऑक्साइड गैस उत्पन्न हो सकती है जो बहुत जहरीली होती है और कमरे में मौजूद लोगों की जान जा सकती है।
विभिन्न बीमारियों, बहती/भरी हुई नाक जैसे लक्षणों के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
पालतू जानवरों को शीतलहर से बचाने के लिए जानवरों को बाड़े के अंदर ले जाएं एवं ख्याल रखें।
एस०डी०एम०ए० द्वारा जारी किया गया मोबाइल ऐप यथा (Firs Aid for Students and Teachers) FAST and SACHET मोबाइल ऐप डाउनलोड करें।
*हाइपोथर्मियां के मामले में क्या करें*
व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और उसके गीले कपड़े बदलें।
व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा के संपर्क में लाकर गर्म रखें, कंबल, कपड़े, तौलिए या चादर की परतों से सुखायें।
शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें। शराब न दें।
स्थिति बिगडने पर चिकित्सीय सहायता लें।
*हाइपोथर्मियां के मामले में क्या न करें*
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लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें।
शराब न पीए क्योंकि यह शरीर के तापमान को कम करती है. और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती है1
ठंडे से प्रभावित अंग की मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है।
कंपकपी को नजरअंदाज न करें। यह पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है-घर के अंदर शरण लें।
प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई तरल पदार्थ न दें जब तक कि पूरी तरह से सचेत न हो जाए।
*कृषिः किसान शीतलहर के दौरान क्या करें और क्या न करें*
शीत लहर और पाला फसलों को नुकासान पहुंचाते हैं, खरीफ की फसलों की वृद्धि कम हो जाती है, पत्तियां जल जाती है। (पत्तियों पर सफेद, भूरे धब्बे) बन जाते है और पत्तियां सूख कर झुलस जाती है। जिसमें उनमें काला रतुआ, सफेद रतुआ पछेती-सुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शील लहर के कारण अंकुरण, वृद्धि पुष्पन, उपज और भंडारण अवधि में विभिन्न प्रकार के शरीरिक व्यवधान का कारण बनती है।
*किसान शीतलहर के दौरान क्या करें–*
ठंड से होने वाली वीमारी के लिए उपचारात्मक उपाय अपनायें जैसे बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए बोर्डो मिश्रण या कॉपर ऑक्सी–क्लोराइड, फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) का छिडकाव करें।
शीतलहर के दौरान जहां भी संभव हो, हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें।
यदि संभव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें।
ठंड प्रतिरोधी पौधों / फसलों/किरमों की खेती करें।
बागवानी और बगीचों में इंटरक्रॉपिग (अंतर फसल) खेती का उपयोग करें।
टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल के साथ सरसों / अरहर जैसी लंबी फसलें ठंडी हवाओ (ठंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगी।
सर्दियों के दौरान युवा फलदार पौधे को प्लास्टिक द्वारा ढककर अथवा पुआल या सरकंडा घास आदि के छप्पर (झुग्गिया) बनाकर विकिरण अवशोषण (Absorption) को बढ़ाया जा सकता है। गर्म तापीय व्यवस्था प्रदानप की जा सकती है।
जैविक मल्टिंग (तापीय इन्सुलेशन के लिए)।
विंड मंक/शेल्टर बेल्ट लगाना (हवा की गति को कम करने के लिए)।
*पशुपालन/पशुधन*
*क्या करें और क्या न करें–*
शीतलहर के दौरान, जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैसों / मवेशियों के लिए इस मौसम के दौरान जानवरों में तापमान में अत्यधिक भिन्नता पशुओं की प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है।
*क्या करें–*
ठंड हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी तरफ से जानवरों के आवास को ढक दें।
पशुओं और मुर्गियों को ठंड से बचाने और गर्म कपड़े से ढकने की व्यवस्था करें।
पशुधन आहार पद्धति और आहार पूरकों में सुधार करें।
उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चरागाहों का उपयोग।
वसायुक्त खुराक प्रदान करें-आहार सेवन, खिलाने और चबाने के व्यवहार पर अनुपात केंद्रित करें।
जलवायु अनुकूल शेड का निर्माण करें जो सर्दियों के दौरान अधिकतम सूर्य प्रकाश तथा गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देता है।
सर्दियों के दौरान पशुओं के नीचे सूखा भूसा जैसी कुछ बिछावान सामग्री डालें।
इन परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त नस्लों (फिट नस्लों) का चयन करें।
*क्या न करें–*
शीतलहर के दौरान पशुओं को खुले स्थानों में न बांधे घूमने न दें।
शीतलहर के दौरान पशुमेले से बचें।
जानवरों को ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें।
पशु आश्रय में नमी और धुएं से बचें।

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