गुरु की महिमा"
गुरु का अपने शिष्यों पर
होता स्नेह अपार
इसीलिए गुरु देते हैं
शिष्यों का हुनर निखार ।
गुरु के रहते शिष्य में कोई
अवगुण ना रह पाते
गुरु कृपा से सब अवगुण
रज में जाके मिल जाते ।
गुरुवर अपने शिष्य को
कभी कष्ट ना होने देते
शिष्य के सारे कष्टों को वे
पल भर में हर लेते ।
इसीलिए तो जग में गुरु
हैं वंदनीय कहलाए
जिस शिष्य के ऊपर हाथ धरे
जीवन उसका संवर फिर जाए।
जो जाने गुरु की महिमा
वो कभी नहीं भरमाए
चाहे पथ में लाख कोई
रोड़े को अटकाए ।
जिस पे होती गुरु की कृपा
वो भाग्यशाली बन जाता
जीवन में उसके कभी फिर
लौट के दुःख ना आता ।
गुरु की महिमा की गाथा को
जिसने भी है जाना
उसमें भी क्षमता नहीं इतनी
इनकी कृपा को बतलाना ।
सरल शब्दों में हो नहीं सकता
गुरु की कृपा का गान
'संजू' में क्षमता नहीं इतनी
फिर कैसे करे बखान ?
डॉ० संजुला सिंह "संजू"
जमशेदपुर (झारखंड )
0 Comments