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वृद्धाश्रम अकबरपुर एवं जिला कारागार अम्बेडकरनगर में आयोजित हुये विधिक साक्षरता , जागरूकता शिविर एवं किया गया निरीक्षण


 

*वृद्धाश्रम अकबरपुर एवं जिला कारागार अम्बेडकरनगर में आयोजित हुये विधिक साक्षरता , जागरूकता शिविर एवं किया गया निरीक्षण*

निराला साहित्य संवाद,

अम्बेडकर नगर। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन 2025-26 के अनुपालन में श्री चन्द्रोदय कुमार, माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार आज दिनांक 18.11. 2025 को माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के सम्बन्ध में वृद्धाश्रम, अकबरपुर, अम्बेडकरनगर में एवं प्ली बारगेनिंग एवं विभिन्न नियमों के अंतर्गत बन्दियों की रिहाई, निःशुल्क विधिक सेवा एवं बन्दियों के अधिकार के सम्बन्ध में जिला कारागार अम्बेडकरनगर में विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविर का आयोजन एवं निरीक्षण किया गया। उक्त विधिक साक्षरता / जागरुकता शिविरों में श्री भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर, श्री राजेश कुमार तिवारी, डिप्टी चीफ, एल०ए०डी०सी०एस०, श्री आलोक सिंह, जेलर, श्री सूर्यमान सरोज, डिप्टी जेलर, डा० दिग्गविजय प्रताप सिंह, कारागार चिकित्सक, जि०वि० से० प्रा० के कर्मचारीगण, पी०एल०वी० एवं वृद्धाश्रम में प्रबन्धक वृद्धाश्रम एवं वृद्धजन उपस्थित रहे।

माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के सम्बन्ध में आयोजित विधिक साक्षरता / जागरूकता कार्यक्रम में श्री भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा बताया गया कि यह अधिनियम भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण के लिए प्रभावी कानूनी प्रावधान करता है, अधिनियम 29 सितंबर 2008 से लागू किया गया था। अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे या रिश्तेदार अपने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और वित्तीय जरूरतों को पूरा करें, इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को दुव्यवहार और परित्याग से बचाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है, यह कानून भरण-पोषण के मामलों को जल्दी और सरलता से निपटाने के लिए विशेष श्मरण-पोषण न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है, ताकि लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बचा जा सके। अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार माता-पिता (चाहे वे वरिष्ठ नागरिक हों या नहीं) और 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक, जो अपनी आय या संपत्ति से खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, अपने बच्चों या रिश्तेदारों से भरण पोषण की मांग कर सकते हैं, यदि वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हैं, तो कोई अन्य व्यक्ति या पंजीकृत संगठन उनकी ओर से आवेदन कर सकता है। अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए, प्रत्येक उप-मंडल में एक भरण-पोषण न्यायाधिकरण का गठन किया जाता है, न्यायाधिकरण को माता-पिता का भरण-पोषण न करने के मामले में बच्चों या रिश्तेदारों को वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखल करने का आदेश देने का भी अधिकार है एवं न्यायाधिकरण अधिकतम ₹10,000 प्रति माह तक के भरण-पोषण भत्ते का आदेश दे सकता है, राज्य सरकारें इस अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार देती है. जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए कल्याणकारी उपाय और सुरक्षा सुनिश्वित करना शामिल है, वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रव्यापी हेल्पलाइन नं0 14567 भी संचालित है।

वृद्धाश्रम निरीक्षण के दौरान अपर जिला जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वृद्धजनों के स्वास्थय के बारे में जानकारी प्राप्त की एवं उनके भोजन की व्यवस्था के बारे में भी पूछा, तथा किसी को कोई अन्य समस्या तो नहीं है कि जानकारी भी ली गई। कुछ वृद्धजनों द्वारा घर जाने के बारे में कहा गया, एवं वृद्धजन श्री शौकीलाल एवं श्री जोगन तांती द्वारा वृद्धा पेंशन न मिलने की बात कही गई तथा श्री माता प्रसाद एवं श्री राम नेवल द्वारा पथरी की समस्या के बारे में बताया तथा आपरेशन करवाने का निवदेन किया गया।

जिला कारागर अम्बेडकरनगर में आयोजित विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविर को सम्बोधित करते हुये श्री भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा बन्दियों को उनके अधिकारों के विषय में बन्दियों हेतु राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, एवं उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित निःशुल्क विधिक सेवाओं एवं नये कानूनों के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई तथा बन्दियों को विभिन्न नियमों के अंतर्गत जमानत एवं रिहाई आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की गई एवं जेलर जिला कारागार अम्बेडकरनगर को निर्देशित किया गया कि यदि बीएनएसएस 479 से सम्बन्धित कोई भी विचाराधीन बन्दी जिला कारागार अम्बेडकरनगर में बन्द है एवं ऐसे बन्दी जिनकी जमानत न्यायालय से हो चुकी है परन्तु वह जमानतदार के अभाव में कारागार से रिहा नहीं हो पा रहा है तो उसकी सूचना से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर को ससमय अवगत करायें जिससे आवश्यक कार्यवाही करते हुये सम्बन्धित बन्दी को रिहाई का प्रयास किया जा सके। अपर जिला जज / सचिव महोदय द्वारा जिला कारागार का निरीक्षण कर बन्दियों से मुलाकात की गई एवं उनके भोजन व स्वास्थय के सम्बन्ध में पूछा गया तथा उनके मुकदमे की स्थिति के सम्बन्ध में भी बात की गई तथा जेलर को परिसर की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिये जाने हेतु निर्देशित किया गया एवं उनके स्वास्थय का ध्यान रखने तथा अस्वस्थता की अवस्था में चिकित्सा सुविधा दिलवाये जाने हेतु निर्देशित किया गया एवं जेलर को निर्देशित किया गया कि यदि किसी भी बन्दी को निःशुल्क विधिक सहायता / अधिवक्ता की आवश्यकता है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।

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