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हिंदी का गुणगान

 हिंदी का गुणगान


हिंदी का मैं गान करता हूँ

हिंदी का मैं सम्मान करता हूँ।

कभी मीरा को सुनता हूँ

कभी कबीर को सुनाता हूँ।

कभी जायसी के रहस्य में खो जाता हूँ

कभी केशव के काव्य प्रेत से टकराता हूँ।

कभी नानक की गुरुबानी बोलता हूँ

कभी चंदबरदाई की वीरगाथा गाता हूँ।

कभी तुलसीदास की तरह

राम नाम का गुणगान करता हूँ।

कभी सूरदास की तरह

कृष्ण की हठकेलिया सुनाता हूँ।

कवि हूँ हर हाव में, हर भाव में

हिंदी का गुणगान करता हूँ।


डॉ.राजीव डोगरा

कांगड़ा हिमाचल प्रदेश



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