" प्रेम पत्र "
लिखी है मैंने तेरे नाम की
एक प्रेम की पतिया
जिसमें छुपी है हदय के मेरे
सारे जज्बात की बतिया ।
सारे सपनों के रंग भरे हैं,
और भरे मीठी बतिया ।
खोल इसे तुम प्रेम से पढ़ना
तब समझोगो सब बतिया ।
आशाओं का संसार समाहित
छिपा हुआ है इस में,
ध्यान लगा के समझना इसको,
मेरे हृदय की बतिया ।
तेरे बिन मेरा दिन नहीं कटता,
और ना कटती रतिया।
सताए मुझको हरदम सुन लो,
तेरे मेरे प्यार की बतिया ।
तेरे हंसी की खुशबू भी है,
इस पतिया में समाई ,
और बसी है इसमें देखो
प्रेम की तेरी परछाई ।
तेरी यादें जब भी सताए,
तो मैं लिखती हूं पतिया।
इससे ताजा हो जाती है,
मधुर भरी सब बतिया ।
पतिया लिखने से खुशी है मिलती,
सांत्वना और है मिलती
कारण इसी मैं रोज हूं लिखती,
तेरे नाम की पतिया ।
साथ निभाने के भी वादे,
इस पाती में छिपा है।
और छिपा है इस पाती में,
जज्बात जो मैंने लिखा है ।
ये पतिया जो लिखा है मैंने,
हैं ये बड़े अनमोल
हदय से जब भी पढ़ोगे इसको,
तब समझोगे इसका मोल।
संजुला सिंह "संजू "
जमशेदपुर (झारखंड)
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